ओंकारेश्वर बनेगा वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र: शिव पंचायतन मंदिर का होगा महाकाल लोक की तर्ज पर विकास, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिए निर्देश; नागर शैली में भी बनेगा भव्य मंदिर

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

ओंकारेश्वर न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे भारत की आध्यात्मिक धरोहर है। यह वही भूमि है, जहां महान दार्शनिक और अद्वैत वेदांत के प्रवर्तक आदि शंकराचार्य ने अपने बाल्यकाल में निवास किया था और सनातन धर्म की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए ज्ञान प्राप्त किया था। ऐसे में उनके आदर्शों और शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए ओंकारेश्वर को वैश्विक धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में मध्यप्रदेश सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।

दरअसल, मध्य प्रदेश की पवित्र नगरी उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ कुंभ की तैयारियां जोरों पर हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सरकार इस ऐतिहासिक आयोजन को और भव्य और व्यापक बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के कुंभ मॉडल को अपनाने जा रही है। इसके तहत सिंहस्थ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को प्रदेश के अन्य प्रमुख धर्मस्थलों तक जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

इसी क्रम में, सरकार ने यह निर्णय लिया है कि ओंकारेश्वर के शिव पंचायतन मंदिर को महाकाल लोक की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इसके साथ ही, अयोध्या के राम मंदिर की तरह नागर शैली में इस आस्था स्थल का भव्य मंदिर निर्मित किया जाएगा। सरकार ने इस कार्य के लिए आगामी बजट में विशेष प्रावधान करने की योजना बनाई है ताकि श्रद्धालु उज्जैन से सीधे ओंकारेश्वर तक आसानी से पहुंच सकें और वहां ठहराव कर आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकें।

ओंकारेश्वर – एकात्म धाम के विकास का नया अध्याय

सरकार सिंहस्थ 2028 से पहले ओंकारेश्वर को पूर्ण आध्यात्मिक स्वरूप देने के लिए कई योजनाओं को अमलीजामा पहनाने जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उज्जैन की तरह ओंकारेश्वर को भी श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र बनाया जाए। इस योजना के तहत:

  • महाकाल लोक की तरह ओंकारेश्वर में शिव पंचायतन मंदिर परिसर का भव्य पुनर्निर्माण
  • अयोध्या के राम मंदिर की तरह नागर शैली में मंदिर निर्माण
  • सिंहस्थ 2028 तक सभी सुविधाओं का विस्तार और आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा
  • श्रद्धालुओं के लिए उज्जैन से ओंकारेश्वर, मैहर, चित्रकूट, ओरछा, अमरकंटक और अन्य धार्मिक स्थलों तक सीधी यात्रा की सुविधा
  • प्रदेश के धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए नई योजनाएं लागू होंगी।

दरअसल, सरकार चाहती है कि उज्जैन आने वाले श्रद्धालु पहले ओंकारेश्वर जाएं और फिर मैहर, चित्रकूट, ओरछा और अन्य धार्मिक स्थलों की यात्रा करें। यह बिल्कुल वैसा ही होगा, जैसे प्रयागराज कुंभ में आने वाले श्रद्धालु काशी विश्वनाथ और अयोध्या के दर्शन करने जाते हैं। इस रणनीति से मध्य प्रदेश का धार्मिक पर्यटन नए आयामों को छुएगा और इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

बैठक में हुए महत्वपूर्ण निर्णय

गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन में आयोजित बैठक में संस्कृति विभाग द्वारा प्रस्तुत प्रजेंटेशन को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विस्तार से देखा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि ओंकारेश्वर के समग्र विकास की सभी योजनाओं को तय समय-सीमा के भीतर पूरा किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विकास कार्य केवल संरचनात्मक नहीं बल्कि आध्यात्मिक जागरण का भी कार्य होगा, जिससे लाखों श्रद्धालु लाभान्वित होंगे।

इस उच्च स्तरीय बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा, नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार शुक्ला, प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला, पर्यटन विकास निगम के प्रबंध संचालक इलैयाराजा टी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ओंकारेश्वर को एक आत्मिक और वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।

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